झोपड़ी के नीचे सोने की खान
दोस्तों एक कहानी सुनाता हूँ मैं आपको -
एक गरीब किसान था, उसके पास बहुत थोड़ी जमीन थी जिस पर वह खेती करता था. रात बिताने के लिए उसके पास एक छप्पर थी और वह अपने परिवार सहित रहता था. बारिश के दिन थे और उसकी छप्पर से पानी टपकता रहता था. उसको हमेशा यह चिंता लगी रहती थी कि कैसे उसकी रात गुजरेगी और सुबह होगी, कही रात में ज्यादा बारिश तो नहीं होगी . एक दिन शाम का वक्त था और उसके घर एक साधु आया. उसने उस साधु का खूब स्वागत किया. वह साधु उसकी सेवा से बहुत खुश हुआ और उसने उस किसान के दुःख का कारण पूछा. किसान ने बताया कि मै बहुत गरीब हूँ और इसी वजह से मेरी साडी जिंदगी नर्क बन गयी है.
उस साधु ने कहा मै तुम्हारी परेशानी का हल बता सकता हूँ, किसान बड़ा खुश हुआ उसने पूछा कैसे दूर होगी मेरी परेशानी. साधू ने कहा तुम्हारी झोपड़ी के नीचे सोने कि खान है. इतना कहकर वह साधु वहां से चल पड़ा. अब वह किसान बहुत खुश हुआ. रात हो चुकी थी और बारिश भी होने लगी थी लेकिन वह किसान आज बहुत खुश था. वह बारिश जो रोज उसे दुखी कर देती थी आज उसे बिल्कुल दुखी नहीं कर पा रही थी. आज की पूरी रात वह भीगता रहा फिर भी वह खुश था.
अभी तक उसे एक रुपया भी नहीं मिला था लेकिन वह बहुत खुश था. जानते हैं क्यों क्योकि आज वह अमीर हो चुका था भले उसकी तकलीफे आज भी उतनी ही थी लेकिन आज उसका मन प्रसन्न था.
मोरल: जिस दिन आप खुद को अन्दर से भरा महसूस करेंगे उसदिन आपको बाहर का कोई भी दुःख परेशान नहीं कर पायेगा
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