अभ्यास का महत्व
नमस्कार दोस्तों आज मैं आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय लेकर आया हूं । और यह विषय अभ्यास का महत्व। जी हां दोस्तों आज मैं आपको अभ्यास के महत्व के बारे में बताऊंगा ।
एक कहानी है दोस्तों पुराने जमाने में लोग अपनी आजीविका कमाने के लिए एक गांव से दूसरे गांव जा कर के व्यापार करके या लोगों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करके थोड़ा बहुत कमा लेते थे । ऐसा ही एक व्यक्ति तीर चलाने वाला था वह बहुत छोटी उम्र से ही तीर चलाने का अभ्यास किया करता था।
वह इसमें बहुत ही निपुण भी था वह यात्राएं किया करता था और वह उन गांव वालों के लिए तीर चलाने का प्रदर्शन करता था जिनके लिए किसी भी तरह का प्रदर्शन मनोरंजन का एक अच्छा साधन था। तीर चलाने वाला एक लक्ष्य तय कर लेता था और तीर और कमान से टारगेट में पहले से ही लगे तीर को चीरकर तीर चलाकर अपनी प्रवीणता का प्रदर्शन करता था।
गांव वालों को उसका प्रदर्शन बड़ा ही मनोरंजक लगता था। वहां पर आए हुए लोग इस असंभव से लगने वाले कार्य से प्रभावित होकर और अधिक प्रदर्शन करने के लिए तालियां बजाकर उसका उत्साह बढ़ाया करते थे। यह महीने -महीने और सालों साल चलता रहा । उस तीर चलाने वाले ने तीर चलाने में एक योग्य तीरंदाज के रूप में न सिर्फ अच्छी शोहरत हासिल कर ली थी, बल्कि उसे अपने आप पर बहुत घमंड भी होने लगा था । फिर एक दिन जब वह एक मेले में अपनी कला का प्रदर्शन कर रहा था तो एक अप्रत्याशित घटना घटी बहुत बड़ी भीड़ इकट्ठी थी और जब वह तीर चलाने वाला अपनी कला का प्रदर्शन कर रहा था । सभी तालियां बजाकर उसे उत्साहित कर रहे थे पर जब तालियों की गड़गड़ाहट कुछ कम हुई भीड़ के पीछे से उसने हल्की सी आवाज सुनी "यह सिर्फ अभ्यास की बात है" पहले तो उसने ध्यान नहीं दिया "कोई मूर्ख ऐसी टिप्पणी कर रहा है" उसने ऐसा अपने मन में सोचा और अपने अगले निशाने पर ध्यान केंद्रित कर लिया
जिसके बाद खूब तालियां बजी और फिर वही चिढ़ पैदा करने वाली टिप्पणी सुनाई दी "हां यह सिर्फ अभ्यास की बात है" फिर उसने अपना ध्यान केंद्रित किया और लोगों को प्रभावित करने में लगा रहा पर वह बहुत ज्यादा चिढ़ गया था इसलिए उसने अपना प्रदर्शन जल्द ही बंद कर दिया। और उस आदमी को खोजने लगा जो उसे क्रोधित करने वाली टिप्पणी कर रहा था ।
भीड़ के पीछे उसने देखा कि एक तेल बेचने वाला व्यक्ति तेल के दो पीपे और कुछ खाली बोतल लिए बैठा था उस व्यक्ति को देख कर के उस तीरंदाज ने पूछा "सुनो क्या तुम ही कह रहे हो कि यह सिर्फ अभ्यास की बात है" तेल बेचने वाले ने जवाब दिया "हां मैं ही था वह" क्या मतलब है तुम्हारा "क्या सिर्फ अभ्यास की बात है, क्या तुम नहीं जानते कि मैं सबसे अच्छा हूं , मुझसे अच्छा कोई भी नहीं है, मेरी जैसी कला किसी के भी पास नहीं है"
तेल बेचने वाले ने कहा "नाराज मत होइए आपने अभ्यास किया है इसलिए आप अच्छे हो गए हैं अगर आपने अभ्यास नहीं किया होता तो आप इतने अच्छे नहीं होते"
"अगर यह सिर्फ अभ्यास की ही बात होती तो कोई भी ऐसा कर सकता था पर यह योग्यता सिर्फ मुझ में है" तीर चलाने वाले ने कहा। तेल बेचने वाले ने बड़ी नम्रता से कहा मैं आपको कुछ दिखाता हूं और उसने अपनी पॉकेट से एक सिक्का निकाला उस सिक्के के बीच में छेद था उसने उस सिक्के को खाली बोतल के ऊपर रखा तेल का भारी पीपा उठाया और उस सिक्के के छेद में से सीधे बोतल में बिना एक बूंद भी तेल गिराए तेल भरने लगा फिर वह तीर चलाने वाले की ओर मुड़ा और उसने कहा "अब तुम ऐसा करके दिखाओ"
तब उस तीर चलाने वाले को समझ में आया कि बेशक यह अभ्यास की ही बात है क्योंकि वह ऐसा नहीं कर सकता था, उसने तेल बेचने वाले की ओर क्षमा याचना भाव से देखा।
"देखो तीर चलाने वाले तेल बेचने वाले ने कहा" तुम हर दिन तीर चलाने का अभ्यास करते हो इसलिए तुम इसमें अच्छे हो मैं तेल डालने का अभ्यास करता हूं इसलिए मैं इसमें अच्छा हूं यह सच में अभ्यास की ही बात है।
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हम अपना सारा जीवन गुस्सा करने में चिड़चिड़ापन में बिताते हैं घर में परिवार जनों से दोस्तों से दफ्तर में बॉस की फटकार सुनने में और इन सभी चीजों में लगे रहते हैं जो हमें चिड़चिड़ा और गुस्सैल बना देती है। लेकिन समस्या यह है कि अगर आप हर दिन गुस्सा करने का अभ्यास करेंगे तो उस में माहिर हो जाएंगे अगर आप समझदारी और शांति तथा प्रेम का अभ्यास करेंगे तो निश्चित रुप से आप खुश रहेंगे और आपका जीवन अच्छा रहेगा
धन्यवाद
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